Home विषयमुद्दा क्यों हो रहा है मोदी का भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने का प्रयास असफल जानिये

क्यों हो रहा है मोदी का भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने का प्रयास असफल जानिये

देवेन्द्र सिकरवार

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अब हमें मान लेना चाहिये कि वर्तमान मोर्चे पर हमने ‘जमीन’ भी खोई, अपने दो लोग शहीद भी करवाये और अपने पक्ष का मनोबल गिराते हुये पूरे मु स्लिम जगत का मनोबल बढ़ाया है और ऐसा सिर्फ और सिर्फ सत्ता का दूसरे केंद्र दिखने की भागवत जी की बेचैनी ने किया है।
एक युध्द में दो सेनापति होते हैं तब हमेशा यही होता है।
आगे भले कितना ही कतर को या तुर्की को सबक सिखा लें लेकिन आज की तारीख में भारत सरकार की प्रतिष्ठा का हनन हुआ है और घरेलू स्तर पर पार्टी के प्रति कार्यकर्ताओं व समर्थकों का विश्वास घटा है।
मोदीजी ने जितनी मेहनत से हिंदू राष्ट्रवाद का जो दावानल भड़काया था, फिलहाल उसमें पानी पड़ गया है और सिर्फ धुंआ उठ रहा है।
अब तीन ही उपाय बचे है सरकार के समक्ष,
-रूस से तेल आयात बढ़ाकर बिडेन के मुँह पर कसकर तमाचा मारे जिसने कतर व तुर्की को इशारा कर अप्रत्यक्ष रूप से चीन की मदद की है जो भारत को फिलहाल अमेरिका से भी ज्यादा खतरनाक दुश्मन मान रहा है और जिसका रचा यह पूरा खेल है।
-नुपूर शर्मा पर मुकदमा चलाया जाए और पूरी कार्यवाही का लाइव टेलीकास्ट हो ताकि संसार भर को इन ह रा मि यों की यौन कुंठाओं का पता चले।
-उन सभी मु स्लिम मुल्लाओं व मौलानाओं को गिरफ्तार करके उनपर देश के विरुद्ध युद्ध छेड़ने का चार्ज लगाए जिन्होंने गृहयुद्ध की धमकी दी थीं। बुलडोजर के खेल में टहनियां टूटने से नादान हिंदू ही खुश हो सकते हैं।
इनकी जड़ हैं मुल्ला और मौलाना, उन पर वार करो।
-कतर और ओ आई सी को साफ साफ कह दिया जाए कि पहले अपने देश को धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक बनाओ फिर इधर बात करें।
अगर ये देश भारतीयों को निकालने की धमकी देते हैं तो देने दो क्योंकि वहां अधिसंख्य मुस्लिम ही हैं। मरने दो भूखा इन्हें। दो दिन में मूतने लगेंगे।
हो सकता है मेरी बातें अव्यवहारिक लग रही हों लेकिन जियोपोलिटिक्स पर नजर रखने वाले सभी देख समझ रहे हैं कि सरकार ने प्याज भी खा ली है और कोड़े भी।
अब दिलचस्पी व नजर मोदीजी के भविष्य के प्रतिशोधात्मक कदमों पर है, वर्तमान का मोर्चा तो हम खो चुके हैं।

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