एक समय लाइफ़ में न फ़ोकस बन रहा था, बड़ी ऐंज़ाइयटी सी रहती थी. मित्रों ने समझाया मेडिटेशन करो.
अब मेडिटेशन के पहले लेवल लायक़ हरिद्वार में पतंजलि आश्रम से सीखा ही हुआ था, पर पतंजलि योग पीठ का मुख्य फ़ोकस योग के मेडिटेशन पार्ट से परे फ़िज़िकल फ़िट्नेस पर ज़्यादा होता है. हम जैसे लोगों की मुख्य ज़रूरत मेंटल फ़िट्नेस थी.
फ़िर youtube और अन्य ऐसे ही ऐप में समाधान ढूँढा गया. पर फ़िर भी मज़ा न आ रही थी. अपनी आदत है कुवाँ खोद कर पानी पीने की. तो सीधे उपनिषद तक पहुँच गए और ध्यान बिंदु, नाद बिंदु आदि उपनिषद पढ़ने की असफल चेष्टा कर डाली. इसने और कन्फ़्यूज़न बढ़ा दिया. इन उपनिषद को पढ़ एक बात क्लीयर हुई कि मेडिटेशन अर्थात् ध्यान सदैव गुरु के ऑब्ज़र्वेशन में ही करना चाहिए. अब हमारी ह्यूमन हैबिट ठहरी इतनी आसानी से किसी को गुरु न मानने की.
इन सबके बीच किसी ने सलाह दिया कि गुरुदेव श्री श्री के आर्ट ओफ़ लिविंग का हैपिनेस प्रोग्राम करो. अनमने मन से साइन अप किया. प्रोग्राम में पहुँचे अच्छा यह लगा कि सारे पर्टिसिपंट अपनी ही वेव लेंक्थ वाले हैं. स्टूडेंट, प्रोफेशनल, पैरेंट्स. वो चार पाँच दिन रोज़ के कुछ घंटे काफ़ी अच्छे बीते. सुदर्शन क्रिया बिल्कुल राम बाण सी लगी. समझ में आया जो सारांश श्री श्री जी ने पाँच दिन में प्रोफेशनली सिखा दिया वह स्वयमेव ज़िंदगी भर न सीख पाता.
आज भी मैं सबको आर्ट ओफ़ लिविंग का हैपिनेस कोर्स करने की सलाह ज़रूर देता हूँ.
आज श्री श्री जी का जिन्हें उन्हें भक्त फ़ांड्ली गुरुदेव कह कर बुलाते हैं का जन्म दिवस है. Gurudev Sri Sri Ravi Shankar जी को जन्म दिवस की शुभ कामनाएँ जिन्होंने न सिर्फ़ अपने लाखों डेडिकेटेड भक्तों को बल्कि हम जैसे नाट सो पर्मनेंट फ़ॉलोअर टाइप के लोगों को भी ध्यान साधना सिखाई. आप करोड़ों के जीवन में पॉज़िटिव चेंज लाए, इसका आभार.