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तीन अविवाहित भारत रत्न से सवाल एक पर जवाब जुदा-जुदा !

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हमारे देश में तीन भारत-रत्न ऐसे हैं , जो अविवाहित रहे। इन तीन भारत रत्न से अलग-अलग समय पर अलग-अलग इंटरव्यू में अविवाहित रहने पर मैं ने सवाल पूछा था। नाना जी देशमुख , अटल बिहारी वाजपेयी और लता मंगेशकर से। इन तीनों के जवाब लेकिन अलग-अलग मिले।
नाना जी देशमुख
●एक व्यक्तिगत सवाल पूछना चाहता हूं।
-पूछिए। नि:संकोच पूछिए।
●आप को क्या लगता है कि विवाह न कर के आप ने ठीक किया किया कि गलत?
-अब इस सवाल का कोई महत्व नहीं रह गया है।
● फिर भी?
– हां यह सच है कि अगर विवाह किए होता तो जीवन में ज़्यादा ऊर्जा होती। जीवन ज़्यादा बेहतर होता। समाज में और बेहतर काम करना संभव बन पाया होता।
●तो विवाह न कर के पछताते हैं आप?
– ऐसा भी नहीं है। कह कर वह मुसकुराते हैं। अब जो हो गया है , हो गया है। अब जो आगे वही सत्य है, सुंदर है।
अटल बिहारी वाजपेयी
एक बार मैं ने उन के अविवाहित रह जाने पर चर्चा करते हुए पूछा कि आप को क्या लगता है कि यह ठीक किया? सुन कर वह गंभीर हो गए। वह बोले, ‘क्या ठीक, क्या गलत? अब तो समय बीत गया।’ पर बाद में उन्हों ने स्वीकार किया कि अगर वह विवाहित रहे होते तो शायद जीवन में और ज़्यादा ऊर्जा से काम किए होते। ठीक यही बात मैं ने नाना जी देशमुख से भी एक बार पूछी थी तो लगभग यही जवाब उन का भी था। लता मंगेशकर से भी जब यही बात पूछी थी उन के मन में इस तरह की कोई बात नहीं थी। पर अटल जी के मन में थी। एक समय वह हरदोई के संडीला में भी अपनी जवानी में रहे थे। संडीला में लड्डू बड़े मशहूर हैं। तो वाजपेयी जी परिहास पर आ गए। बोले, ‘यह तो वो लड्डू हैं जो खाए, वह भी पछताए, जो न खाए वो भी पछताए।’ उन का एक गीत है सपना टूट गया:
हाथों की हल्दी है पीली
पैरों की मेंहदी कुछ गीली
पलक झपकने से पहले ही सपना टूट गया।
लता मंगेशकर
●अभी कुछ समय पहले एक नेता नाना जी देशमुख के कहा कि अगर उन्होनें ने शादी की होती तो उन की ज़िंदगी ज़्यादा सुखी होती और कि समाज में वह और ज़्यादा अच्छे काम करते, और ज़्यादा कामयाब होते। आप क्या सोचती हैं कि अगर आप ने भी शादी की होती तो आप के साथ भी वैसा ही होता?
– ऐसा तो मैं नहीं कह सकती।
●फ़िर भी?
– मुझे मालूम ही नहीं कि वह ज़िंदगी कैसी होती है। मैं उस ज़िंदगी से, शादीशुदा ज़िंदगी से परिचित नहीं हूं।
●पर यह तो बता सकती हैं कि आप ने शादी क्यों नहीं की?
– जो लिखा होता है,वही होता है। मैं ऐसा ही मानती हूं। मैं मानती हूं कि शादी और बहुत सारी बातें इंसान के हाथ में नहीं होतीं। और फिर इस बारे में कुछ भी नहीं कहना चाहती। कुछ और पूछिए !

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