ये जितने ब्रांडेड धर्मगुरु या दर्शनशास्त्री आते हैं जिनके शब्द पढ़ पढ़कर आप….
आहो.. अमरेंद्र बाहुबली
या आहो भल्लालदेवा करते हो
कभी सोचे हो उनकी पुस्तकें या उनके विचार प्रवचन कौन लिखता है …?
कभी महल के नीचे झोपड़ी देखे हो .!!!!
नहीं ना..!!
वहां तक आपकी पहुँच ही नहीं है तो कैसे देखोगे..?
खैर आप लोगो को अच्छा लगे या बुरा , सुनो एक सच्चाई
ये जो “ओशो” टाइप के लोग हैं कभी सोचा है इनका मैटर कौन तैयार करता है,
जी हाँ..! मैं हूँ खलनायक
मतलब महल के नीचे झोपड़ी में रहने वाले लोग अच्छी खासी सैलरी के साथ रखे जाते हैं, पूरी टीम होती है जो आपके ओशो हों या सद्गुरु उनके लिए मैटर तैयार करते हैं उसे मर्ज करते हैं और फिर इन्हें बोलने के लिए दिया जाता है जिसे सुनकर आप …बाबा..! बाबा..! करते हुए सुख दुःख के अश्रु बहाते हो..!
भावना में डूब जाते हो और कहते हो वाह क्या तर्क है…?
बस यही है काली खुरदुरी दीवारों को चमकाने में कितने श्रमिक मिस्त्री अभियंता काम करते हैं लोगों को पता नहीं चलता, लोग तो उसी को मानते हैं जो प्रत्यक्ष है वही सत्य है……
खैर, आज यह बताने का मन इसलिए हुआ क्योंकि एक के पिताजी ओशो की टीम में थे और उस समय अच्छी खासी लाखो में पेमेंट उन्हें मिलती थी , उनकी कच्ची डायरी आज भी उनके बच्चों के पास है।
तो भई संसार में बड़ा झोल है