Home हमारे लेखकजलज कुमार मिश्रा पुण्यपथ – सर्वेश तिवारी ‘श्रीमुख’

पुण्यपथ – सर्वेश तिवारी ‘श्रीमुख’

by Jalaj Kumar Mishra
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पुण्यपथ के समर्पण में सर्वेश तिवारी ‘श्रीमुख’ लिखते हैं‌‌ कि यह किताब उन सभी पाकिस्तानी हिन्दुओं को समर्पित है, जो उन्नीस सौ सैंतालिस की आजादी में गुलाम हो गये। पर याद रहे सभ्यताओं की लड़ाईयाँ दिन,महीनों, वर्षों में नही सदियों में पूरी होती है। आज नही तो कल, कल‌ नही तो परसो…सिंधु के जल‌ में भी सूर्य उदय होंगे।

उपन्यास की कहानी ऐसी है कि हँसते हुए आप कैसे आँखों मे आँसू ले बैठते हैं, पता ही नही चलता हैं। यह उपन्यास अपने कालखंड से न्याय करता है। वर्तमान के षड्यंत्रों के चक्रव्यूह को भेदता है।

सर्वेश तिवारी श्रीमुख उन चंद लेखकों में से एक हैं जिन्होंने कभी राष्ट्रवाद की डोर नहीं छोड़ी। उनका पहला उपन्यास “परत” लव जिहाद की परतों को उधेड़ता उस विषय पर लिखा गया हिन्दी का इकलौता उपन्यास है, जिसे पाठकों ने खूब सराहा है और यह किताब आज भी बेस्ट सेलर है। इस उपन्यास के सैकड़ों वन लाइनर्स रोज ही सोशल मीडिया में कोट होते रहते हैं।

पुण्यपथ उनका दूसरा उपन्यास है, जो पाकिस्तानी हिन्दुओं की पीड़ा को केंद्र में रख कर लिखा गया है। पाकिस्तानी अल्पसंख्यको के पलायन के कारणों की पड़ताल करते सर्वेश भारत में रह रहे पाकिस्तानी हिन्दुओं की दुर्दशा का वर्णन करते हैं और भारत सरकार के नागरिकता संशोधन बिल की आवश्यकता का समर्थन करते हैं। साथ ही साथ वे CAA के विरुद्ध आंदोलन कर रही शक्तियों के षड्यंत्र को भी उजागर करते हैं।

सर्वेश लोक अस्मिता के लेखक हैं। भारत और भारतीयता की उंगली थामे ये एक ऐसे साहित्यकार हैं जो इस कर्तव्यबोध के साथ लिखते हैं कि, लोक की पीड़ा पर षड्यन्त्रकारी चुप्पी के कालखण्ड में, बोलना ही धर्म है। वे विवादग्रस्त होने के भय से सत्य का उद्घाटन करना नहीं छोड़ते। जैसे उनका संकल्प हो कि वे धर्म के मार्ग को आलोकित करते रहने के लिए, हर वांछनीय अवांछनीय हस्तक्षेप करते रहेंगे।
आज सर्वेश तिवारी ‘श्रीमुख’ अपनी पीढ़ी कर साथ साथ अपनी पिछली पीढ़ी में भी अपने परिचय से बहुत आगे है। स्वागत कीजिए और पढ़िए, सर्वेश भैया की उपन्यास ‘पुण्यपथ’ जो अब अमेजन पर उपलब्ध हैं।
आप सभी के आशिर्वाद से यह उपन्यास सफलता के नये मापदंड स्थापित करेगी इसका मुझे विश्वास है। हिन्दुस्तान को आज सबसे ज्यादा सत्य उद्धृत करने वाले सर्वेश तिवारी ‘श्रीमुख’ जैसे लेखको की जरुरत है। Sarvesh भैया की यश और कीर्ति ऐसे ही बढ़ती रहे, इसी कामना के साथ बहुत बहुत हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ। किताब का लिंक काॅमेन्ट बाॅक्स में डाल‌ रहा हूँ।

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