मेरठ की बेटियों ने एशियन गेम्स में कमाल कर दिखाया है. मेरठ की बेटी पारुल चौधरी ने दो दिनों में लगातार दो मेडल जीतकर धमाल मचाया. मंगलवार को पारुल चौधरी ने पांच हजार मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीतकर देश का मान बढ़ाया. इससे पहले सोमवार को पारूल ने तीन हज़ार मीटर स्टीपल चेज में सिल्वर मेडल जीतकर सभी को गौरवान्वित किया था. पारुल चौधरी मेरठ के इकलौता गांव की रहने वाली हैं. इकलौता गांव के लोग बिटिया के दो मेडल पाने की खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं.
गांव में घर-घर मिठाइयां बांटी जा रही हैं. ढोल नंगाड़े बज रहे हैं. पारुल चौधरी के पिता किशनपाल किसान है. किसान की बेटी पारुल के संघर्ष की लंबी दास्तां है. पारुल कभी अपने गांव से पैदल मेरठ के कैलाश प्रकाश स्पोर्ट्स स्टेडियम पैदल प्रैक्टिस के लिए आया करती थीं. अभी पारुल चौधरी के सिल्वर और गोल्ड मिलने की खुशी मनाई ही जा रही थी कि एक और खुशखबरी चीन से आ गई. मेरठ के बहादुरपुर गांव की रहने वाली अन्नू रानी ने तहलका मचा दिया. अऩ्नू रानी ने भाला फेंक प्रतियोगिता में गोल्ड जीतकर चीन में भारत का डंका बजा दिया.
अन्नू रानी के पिता भी किसान हैं. अऩ्नू रानी को बहादुरपुर गांव की बहादुर बिटिया के नाम से जाना जाता है. अऩ्नू रानी कभी अपने खेतों में लकड़ी के भाले से प्रैक्टिस किया करती थीं. लकड़ी के भाले से प्रैक्टिस करते करते आज एशियन गेम्स में उसने भारत का तिरंगा शान से लहरा दिया. अन्नू रानी के घर पर पूरा परिवार खुशी से फूले नहीं समा रहा है. देश को एक दिन में मेरठ की इन दो लाडली बेटियों ने सोने का तमगा दिलाया है. इससे पहले मेरठ की बेटी किरण बालियान ने गोला फेंक में कांस्य पदक जीता था. किरण के पिता ट्रैफिक पुलिस में हेड कांस्टेबल हैं.
किरण बालियान की मां दस साल तक बेटी को अपने साथ प्रैक्टिस के लिए स्टेडियम पहुंचती थीं. यूपी से खेलने वाली सीमा ने भी चक्का फेंक में कांस्य पदक जीता है. सीमा का भी मेरठ से नाता रहा है. इन चारों वूमेन पावर ने चीन में कमाल कर दिखाया है.