देने। यह ख़बर जब कचहरी में दौड़ी तो एक वकील ने कहा कि एक कविता है, ‘भय भी शक्ति देता है!’ बहरहाल कचहरी में भी मिठाई बंटी और एस.डी.एम. और मुंसिफ़ मजिस्ट्रेट दोनों ने मुनक्का राय को उन के घर पर आ कर
दी। बांसगांव के साथ मुनक्का राय भी झूम गए।
ज़रूर दी। तो धीरज भावुक हो गया। बोला, ‘भइया यह सब आप के ही पढ़ाए-समझाए का परिणाम है। आप ने ही हाई स्कूल और इंटर में हमारी ऐसी रगड़ाई करवा दी थी कि मुझे आगे बहुत आसानी हो गई।’ उस ने बताया, ‘आप की ही छोड़ी आई.ए.एस. की तैयारी वाली किताबें और नोट्स भी मेरी इस सफलता में काम आए। भइया आप न होते तो मैं पी.सी.एस. न होता।’
दी। मुनक्का राय के गांव में भी यह सिलसिला चला। गांव की छाती फूल गई।