दुनिया के सर्वश्रेष्ठ 10 देश जहां संपत्ति का बटवारा सबसे बेहतर है।
Vivek Umrao
दुनिया के सर्वश्रेष्ठ 10 देश जहां संपत्ति का बटवारा सबसे बेहतर है। तथा कुछ अन्य देशों की रैंकिंग निम्न हैं।
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स्लोवाकिया — 01
आइसलैंड — 02
कतर — 03
बेल्जियम — 04
माल्टा — 05
ईस्ट-तिमोर — 06
जापान — 07
ऑस्ट्रेलिया — 08
ग्रीस — 09
हंगरी — 10
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लक्जमबर्ग — 13
फ्रांस — 25
चीन — 28
यूनाइटेड किंगडम — 37
कनाडा — 38
पाकिस्तान — 45
बांग्लादेश — 56
जर्मनी — 82
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भारत — 132
यूक्रेन — 140
अमेरिका — 145
रूस — 159
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यदि प्रति व्यक्ति समृ्द्धि की बात की जाए तो दुनिया 10 सबसे समृद्ध देशों की तथा कुछ अन्य देशों की रैंकिंग निम्न हैं। (इस गणना में बच्चों की संख्या को नहीं जोड़ा जाता है)
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01 — लक्जमबर्ग में आधी जनसंख्या की वैयक्तिक संपत्ति लगभग दो करोड़ रुपए है।
02 — ऑस्ट्रेलिया में आधी जनसंख्या की वैयक्तिक संपत्ति लगभग एक करोड़ 80 लाख रुपए है।
03 — आइसलैंड में आधी जनसंख्या की वैयक्तिक संपत्ति लगभग एक करोड़ 70 लाख रुपए है।
04 — बेल्जियम में आधी जनसंख्या की वैयक्तिक संपत्ति लगभग एक करोड़ 70 लाख रुपए है।
05 — न्यूजीलैंड में आधी जनसंख्या की वैयक्तिक संपत्ति सवा करोड़ रुपए है।
06 — डेनमार्क में आधी जनसंख्या की वैयक्तिक संपत्ति लगभग सवा करोड़ रुपए है।
07 — स्विट्जरलैंड में आधी जनसंख्या की वैयक्तिक संपत्ति एक करोड़ रुपए है।
08 — नेदरलैंड्स में आधी जनसंख्या की वैयक्तिक संपत्ति 99 लाख रुपए है।
09 — फ्रांस में आधी जनसंख्या की वैयक्तिक संपत्ति 98 लाख रुपए है।
10 — यूनाइटेड किंगडम (ब्रिटेन) में आधी जनसंख्या की वैयक्तिक संपत्ति 96 लाख रुपए है।
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11 — कनाडा में आधी जनसंख्या की वैयक्तिक संपत्ति 92 लाख रुपए है।
12 — जापान में आधी जनसंख्या की वैयक्तिक संपत्ति 90 लाख रुपए है।
25 — अमेरिका में आधी जनसंख्या की वैयक्तिक संपत्ति 60 लाख रुपए है।
28 — जर्मनी में आधी जनसंख्या की वैयक्तिक संपत्ति 48 लाख रुपए है।
42 — चीन में आधी जनसंख्या की वैयक्तिक संपत्ति 17 लाख रुपए है।
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90 — रूस में आधी जनसंख्या की वैयक्तिक संपत्ति चार लाख रुपए है।
110 — भारत में आधी जनसंख्या की वैयक्तिक संपत्ति सवा-दो लाख रुपए है।
112 — बांग्लादेश में आधी जनसंख्या की वैयक्तिक संपत्ति सवा-दो लाख रुपए है।
116 — यूक्रेन में आधी जनसंख्या की वैयक्तिक संपत्ति दो लाख रुपए है।
122 — पाकिस्तान में आधी जनसंख्या की वैयक्तिक संपत्ति डेढ़ लाख रुपए है।
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मैं हमेशा कहता हूं कि नाम के आगे कम्युनिस्ट, मार्क्सिस्ट, सोशलिस्ट इत्यादि लगा देने से कोई देश साम्यवादी या समाजवादी नहीं हो जाता है। दुनिया में ऐसे कई देश हैं जिनके नाम के आगे कम्युनिस्ट सोशलिस्ट इत्यादि नहीं लगा है लेकिन संपत्ति के बटवारे व आम लोगों के जीवन स्तर सुविधाओं व अधिकारों इत्यादि में बहुत आगे के देश हैं।
दुनिया में ऐसे कई देश हैं जिनसे बहुत कुछ सीखा जा सकता है, लेकिन हममें से अधिकांश भारतीय अमेरिका रूस जर्मनी इत्यादि से बाहर दुनिया का वजूद तक नहीं मानते हैं तो सीखेंगे समझेंगे कैसे। बहुत लोगों को तो जनसंख्या को दोष देने का इतना अधिक नशा है कि संपत्ति बटवारे में भी जबरदस्ती कुतर्कों के साथ जनसंख्या घुसेड़ देंगे, जबकि यह विशुद्ध रूप से सामाजिक व्यवस्था का मामला है।
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रूस जैसा देश जिसके नाम के कसीदे पढ़कर हमारी पीढ़ी बड़ी हुई है। संपत्ति के समान बटवारे में रैंक 159 है, आधी जनसंख्या के पास चार लाख रुपए हैं (एक तरह से गरीबी में जीते हैं)। रूस में 12 % लोगों के पास देश की अधिकतर संपत्ति है। जबकि रूस में लंबे समय तक साम्यवाद रहा है, लेनिन व स्तालिन जैसे बर्बर लोगों को भगवान की तरह पूजा जाता है। रूस को साम्यवाद समाजवाद का आदर्श माना जाता है। रूस को ईश्वर का दर्जा दिया जाता है।
ये अंधभगत लोग तो कुछ भी सुनने समझने को तैयार नहीं होते हैं, कुछ नहीं मिलता तो पाश्चात्य का प्रोपागंडा व षणयंत्र जैसे कुतर्क ठेल देते हैं। ऑब्जेक्टिव चर्चा कर ही नहीं पाते हैं, वामपंथ के प्रति अपने मन के रोमांस का ही झंडा जबरिया उठाए रहते हैं, मूलभूत सामाजिक मूल्यों तक की भी कोई परवाह नहीं करते हैं। भारत को इस अंधभक्ति ने बहुत अधिक नुकसान पहुंचाया है।
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