बुद्ध ने कहा : वेद पौरुषेय हैं कर्मकांडियों को बात बुरी लग गयी और उन्होंने चुनौती दे डाली बुद्ध ने वेदों के ही माध्यम से सिद्ध कर दिया कि जब पूरे वेद में ऋषि ही हर बात बोल रहे हैं…
मधुलिका यादव शची
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कहानियामधुलिका यादव शचीलेखक के विचारसाहित्य लेखहास्य व्यंग
बारात रवाना ,महिलाओं का हंगामा
by मधुलिका यादव शची 161 viewsनिशि मिश्रा जो कि मेरी कॉलेज फ्रेंड थी उसके भाई की शादी में जाना हुआ। यह पहली ग्रामीण शादी थी जिसमें मुझे रुकना पड़ा अन्यथा थोड़ी देर ठहरकर औपचारिकता करने के उपरांत वहां से चल देती थी । हमेशा की…
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पथिक को रास्ते में मिर्च का पौधा मिला, उसने मिर्च तोड़ा, उसे चखा फिर यह कहकर फेंक दिया …उफ्फ इतना तीखा…! यह तो मनुष्य के योग्य नहीं है। आगे बढ़ा उसे प्याज दिखा ,उसे भी चखा ..अच्छा नहीं लगा फेंक…
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नयाजाति धर्ममधुलिका यादव शचीसामाजिकसाहित्य लेख
सिद्धार्थ ही गृह त्यागकर सन्यासी बुद्ध क्यों बनते हैं.
by मधुलिका यादव शची 137 viewsसिद्धार्थ ही गृह त्यागकर सन्यासी बुद्ध क्यों बनते हैं..? राम गृह त्यागने के बाद , वन जाने के बाद भी सन्यासी बुद्ध क्यों नहीं बनते । भरण पोषण करने वाले राजऋषि क्यों बने ..? ध्यान रहे बुद्ध एक अवस्था है…
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लेखक के विचारप्रेरणादायकमधुलिका यादव शचीसाहित्य लेख
जब बुद्ध से वार्तालाप करके ही मन को शांति प्राप्त हो
by मधुलिका यादव शची 215 viewsकभी कभी ऐसा समय आता है जब बुद्ध से वार्तालाप करके ही मन को शांति प्राप्त होती है…..कहीं और हृदय ही नहीं लगता और न ही दूसरा कोई वैद्य दिखता है जो पीर को समेट ले … मन बुद्ध की…
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यास्क के निरुक्त में ‘ स्त्यै ‘ धातु से स्त्री शब्द की व्युत्पत्ति को बताया गया है । स्त्यै से तात्पर्य है जो लज़्ज़ा से सिकुड़ जाए। स्त्री जब प्रेम में होती है तो अपने प्रियतम के समक्ष प्रेम जनित…
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ईश्वर भक्तिज्ञान विज्ञानमधुलिका यादव शचीमुद्दासाहित्य लेख
मार्कण्डेय ऋषि द्वारा कही गई रामोपाख्यान
by मधुलिका यादव शची 393 viewsमहाभारत में मार्कण्डेय ऋषि द्वारा कही गई राम कथा जो “रामोपाख्यान” कही जाती है वह बाल्मीकि रामायण से कई जगहों पर भिन्न है। यहां तक कि कुछ पात्रों के नाम भी भिन्न हैं, घटनाएं भी भिन्नता से मिलती हैं। अब…
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महाभारत के आदिपर्व में एक कथा
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नयाईश्वर भक्तिऐतिहासिकजाति धर्मप्रेरणादायकमधुलिका यादव शचीसाहित्य लेख
रावण जब था अपने सर्वनाश के करीब
by मधुलिका यादव शची 280 viewsमैंने उसे देखा वो एकदम से दीन हीन सा पड़ा अपने पतन को देख रहा था..सर्वनाश के करीब था वो मुझे उस पर दया आ गयी तो प्रश्न किया … तुम जीवित कैसे हो..? किसका बल तुम्हें जीवित रखे हुए…
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” खुशी खुशी कर दो विदा, दुलारी बेटी राज करे ..” विवाह की रस्में हँसी खुशी रोते गाते कब बीत गयी पता न चला.! अब विदाई की रस्म होने वाली थी पर मैं अब अपने फ्रेंड्स के साथ खिलखिलाकर हँस…