आज जो आप अग्निवीर के नाम पर देख रहे हैं, 1991 तक पूरा देश ऐसा ही था। अधिकांश college, factories, सरकारी कार्यालय गुंडागर्दी, हिंसा, आगजनी का केंद्र था। फिर भगवान स्वरूप नरसिंह राव जी आए। उन्होंने उद्योग धंधे पर प्रतिबंध…
रोजगार
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सच्ची कहानियांमुद्दाराजीव मिश्रारोजगारसाहित्य लेख
सेना भर्ती और वेकेंसी- “कोई पीले चावल नही दे रहा” : Samar Pratap एक भारतीय सैनिक
by राजीव मिश्राby राजीव मिश्रा 312 viewsकोई पीले चावल नही दे रहा है इतने बड़े देश मे देश रक्षा करने के लिये।लोग फ्री में भी करने को तैयार हैं.. जब हम भर्ती हुवे थे और ड्रिल में गलती करने पर पिछवाड़े पर डंडे बजते थे तो…
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राजनीतिअपराधभारत वीरमुद्दारोजगारस्वामी व्यालोक
भजप्पा एक लंबर पार्टी है
by Swami Vyalokby Swami Vyalok 241 viewsभजप्पा एक लंबर पार्टी है। विपक्ष में होती है, तो- यथा बंगाल- उसके काडर के जान पर बन आती है, वह अपने समर्थकों का जीना हराम करती है। किसी के साथ साझेदारी में सत्तासीन होती है- यथा बिहार- तो वहां…
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जनसंख्या विस्फोट ने देश की जो दुर्गति की,उसमें आज सरकारी हो या गैरसरकारी, नौकरी की एक वैकेंसी निकलती है, हजारों लाखों की भीड़ उस अवसर को लूट लेने को टूट पड़ती है।अशिक्षितों की तो छोड़िए शिक्षित बेरोजगारों की जो बड़ी…
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राजनीतिभारत वीरमुद्दारोजगारसतीश चंद्र मिश्रासुरक्षा
नौकरी देने वाला कारखाना नहीं है भारतीय सेना।
by सतीश चंद्र मिश्रा 248 viewsनौकरी देने वाला कारखाना नहीं है भारतीय सेना। सीमा की सुरक्षा में अपने प्राण भी बलिदान कर देना कोई धंधा या रोजगार नहीं होता। मात्र 21-23 वर्ष की आयु में 4 वर्ष के सैन्य प्रशिक्षण तथा 15-20 लाख रूपये की…
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इसके दो अर्थ हैं, एक ‘ हमारी जान का दुश्मन’ और दूसरा ‘ स्वयं अपनी जान का दुश्मन’। सुनने में यह विचित्र लगेगा कोई अपनी जान का दुश्मन भी हो सकता है, परंतु सच्चाई यह है कि महत्वाकांक्षी लोगों में…
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वामपंथियों को जब किसी चीज को बर्बाद करना होता है तब वे उसका भला करने चलते हैं. दुनिया भर में वामपंथियों को देश की सेनाएं अपनी सबसे बड़ी दुश्मन दिखाई देती हैं. वे डिफेन्स बजट का विरोध करते हैं, सेना…
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अमित सिंघलनयाभारत वीरमुद्दाराजनीतिरोजगार
वाह-वाही एवं जय-जयकार किसे अच्छा नहीं लगता है?
by अमित सिंघलby अमित सिंघल 180 viewsकिसी भी समाज एवं अर्थव्यवस्था को जकड़न से निकालने के लिए, व्यवस्था को बदलने के लिए जो भी निर्णय लिया जाएगा, उससे एक बड़ी संख्या में नागरिकअसंतुष्ट रहेंगे और उसका विरोध करेंगे। चाहे सरकार कितना भी आंकलन कर के; प्रचार…
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रोजगारदेवेन्द्र सिकरवारभारत वीरमुद्दासाहित्य लेखसुरक्षा
अग्निवीर_के_खतरे
by देवेन्द्र सिकरवार 364 viewsपेंशन, देशभक्ति, अपर्याप्त ट्रेनिंग जैसे वाहीयाद संदेहों पर अब कुछ लिखना समय की बर्बादी है लेकिन एक संदेह कुछ हद तक जैनुअन है और वह है बड़ी संख्या में जेहादियों के प्रवेश की आशंका। इसमें कुछ हद तक सच्चाई है…
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Tata की एक कार आई थी Nano जिसकी ब्रांडिंग टाटा ने ‘सबसे सस्ती कार’ के तौर पर की और यही Tata की गलती साबित हुई। जिस सेगमेंट के लिए वो कार बनाई गई थी उसने ही सोचा कि इस कार…