कुछ लोग एतराज करते हैं कि रावण को महाज्ञानी कहना उचित नहीं है । जबकि उन्हें समझ नहीं है कि रावण का महाज्ञानी होना ही वास्तविकता को आईना दिखाना है । सर्वनाश किसी अज्ञानी का नहीं होता उसकी तो सिर्फ…
मधुलिका यादव शची
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कहानियामधुलिका यादव शचीलेखक के विचारसामाजिक
मिस मार्ग्रेट के साथ स्वामी विवेकानंद
by मधुलिका यादव शची 145 viewsमिस मार्ग्रेट के साथ स्वामी विवेकानंद उनके घर गए । मिस मार्ग्रेट ने कहा ; आप बैठिए, मैं आपके लिए नाश्ता लेकर आ रही हूँ, स्वामी जी तो कई दिन से भोजन नहीं किये थे इसलिए उन्होंने लज़्ज़ा त्यागकर कहा…
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सुबह जब स्त्रियाँ शौच क्रिया को गयी तभी उन्होंने भोर के अंधेरे में देखा कि एक व्यक्ति जमीन पर पड़ा हुआ है । महिलाओं ने कोसते हुए कहा लगता है कि फिर कोई मदिरा पीकर बेसुध होकर जमीन पर पसर…
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जाति धर्ममधुलिका यादव शचीसाहित्य लेख
भारत में यदि बौद्ध मत न आया होता तो
by मधुलिका यादव शची 146 viewsभारत में यदि बौद्ध मत न आया होता तो शायद मूर्ति कला और मंदिर निर्माण की उन्नत शैली का हमें कभी ज्ञान ही न होता और न ही शायद बड़ी बड़ी प्राचीरें होती……. ऐसा लगता था जैसे भारत लकड़ियों के…
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नयामधुलिका यादव शचीलेखक के विचार
आप हट जाईये ” इस वाक्य में उपेक्षा है ,नफरत है।
by मधुलिका यादव शची 133 viewsठीक है आप आ जाईये” इस वाक्य में प्रेम है , आओ जागो और जीवन को समझो अर्थात एक साधु “आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतोऽदब्धासो अपरीतास उद्भिदः। देवा नोयथा सदमिद् वृधे असन्नप्रायुवो रक्षितारो दिवेदिवे” का ही उद्घोष करेगा। एक…
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ओशो ही क्या वो सभी दार्शनिक कबाड़ी और सुनार हैं जो विभिन्न मतों महजबों में घुसकर कबाड़ खोजते हैं और बहुमूल्य बातों को भी खोजकर उसे मिलाकर समाज के लिए आभूषण बनाने का प्रयास करते हैं। इनका अपना कुछ नही…
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स्त्री पैदा ही बोधिसत्व के साथ होती है ,जिसे पुरुष ने बोधिसत्व माना है वह मात्र एक बहस बन गयी है पर स्त्री का बोधिसत्व सिद्धार्थ को भी नही मिला , सिद्धार्थ ने तत्व को एकपक्षीय देखा पर स्त्री समग्र…
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लेखक के विचारईश्वर भक्तिप्रेरणादायकमधुलिका यादव शची
उद्धव ज्ञान के अहंकार में डूबे
by मधुलिका यादव शची 217 viewsउद्धव ज्ञान के अहंकार में डूबे हुए चल दिये कि आज वो गोपियों को ब्रम्ह ज्ञान देकर रहेंगे, उनके अंदर का ब्रम्हऋषि अब निग्रहचार्य रूपी आचार्य का रूप लेने लगा था अब वो शुद्ध अशुद्ध सब अलग थलग कर देंगे…
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आपके पास समर्थक केवल होने चाहिए फिर आप सत्य कहते हो या असत्य , ज्ञान की बात करते हो या मूर्खता की बातें इससे कोई मतलब नहीं….आपके समर्थक आपकी बातों में सत्य और ज्ञान है यह सिद्ध कर ही देंगे।…
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चाणक्य(विष्णुगुप्त) का जब जन्म हुआ तो उनके घर जैन साधु आये उन्होंने चणक ऋषि से कहा : इस बालक में तो सम्राट बनने के लक्षण दिख रहे हैं तब विष्णुगुप्त के पिता चणक चौंक उठे : और बोले …हे आचार्य…