आज से मैं सम्पूर्ण भगवत गीता (हिंदी में सारांश ) आपके समुख रखने की चेस्टा कर रहा हूँ उम्मीद है आपको इसे पढ़ कर अपने समस्त प्रश्नो के उत्तर मिल जाये दोनों सेनाओं के प्रधान शूरवीरों और अन्य महान वीरों…
पुस्तक (कहानी श्रृंखलाबद्ध)
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ईश्वर भक्तिपुस्तक (कहानी श्रृंखलाबद्ध)प्रेरणादायकसच्ची कहानियांसामाजिकसुमंत विद्वन्स
वाल्मीकि रामायण युद्धकाण्ड भाग 100
by सुमंत विद्वन्स 183 viewsश्रीराम और लक्ष्मण दोनों भाई खून से लथपथ होकर बाणों की शय्या पर पड़े थे। उनकी साँसें बहुत धीमी हो गई थीं। उन्हें इस अवस्था में देखकर सब वानर शोक करने लगे। जब इन्द्रजीत ने बाणों की वर्षा रोक दी,…
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ईश्वर भक्तिपुस्तक (कहानी श्रृंखलाबद्ध)सामाजिकसाहित्य लेखसुमंत विद्वन्स
वाल्मीकि रामायण युद्धकाण्ड भाग 99
by सुमंत विद्वन्स 269 viewsलंका जिस त्रिकूट पर्वत पर बसी हुई थी, उसे रीछों और वानरों की विशाल सेना ने चारों ओर से घेर लिया। उनकी संख्या देखकर ऐसा आभास होता था, मानो पूरी पृथ्वी ही वानरों से भर गई है। उनका कोलाहल सुनकर…
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नयाईश्वर भक्तिपुस्तक (कहानी श्रृंखलाबद्ध)प्रेरणादायकराजनीतिसुमंत विद्वन्स
वाल्मीकि रामायण युद्धकाण्ड भाग 98
by सुमंत विद्वन्स 245 viewsवह नाद सुनकर रावण ने कुछ सोच-विचार करके अपने मंत्रियों की ओर देखा। किसी का नाम लिए बिना उसने व्यंग्य करते हुए कहा, “आप लोगों ने राम के बल-पराक्रम की जो बातें बताई हैं, वे सब मैंने सुन ली हैं।…
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ईश्वर भक्तिपुस्तक (कहानी श्रृंखलाबद्ध)प्रेरणादायकसाहित्य लेखसुमंत विद्वन्स
वाल्मीकि रामायण युद्धकाण्ड भाग 97
by सुमंत विद्वन्स 213 viewsफिर शार्दूल आगे बोला, “महाराज! उन श्रेष्ठ वानरों की गतिविधि का पता गुप्तचरों द्वारा नहीं लगाया जा सकता। वे बड़े पराक्रमी तथा बलवान हैं। उनकी सेना में घुसना भी असंभव है क्योंकि अनेक विशालकाय वानर उसकी रक्षा करते हैं। जैसे…
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ईश्वर भक्तिपुस्तक (कहानी श्रृंखलाबद्ध)सच्ची कहानियांसामाजिकसाहित्य लेखसुमंत विद्वन्स
वाल्मीकि रामायण युद्धकाण्ड भाग 96
by सुमंत विद्वन्स 422 viewsभयभीत शुक ने रावण के पूछने पर इस प्रकार उत्तर दिया, “महाराज! मैंने समुद्र के उस पार पहुँचकर आपका सन्देश बहुत मधुर वाणी में उन लोगों को सुनाया। परन्तु मुझे देखते ही वानर कुपित हो गए व उन्होंने उछलकर मुझे…
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सुमंत विद्वन्सईश्वर भक्तिपुस्तक (कहानी श्रृंखलाबद्ध)सच्ची कहानियांसामाजिकसाहित्य लेख
वाल्मीकि रामायण युद्धकाण्ड भाग 95
by सुमंत विद्वन्स 168 viewsतब श्रीराम ने सागर से कहा, “वरुणालय! मेरी बात सुनो। मेरा यह बाण खाली नहीं जा सकता। इसलिए पहले यह बताओ कि इसे कहाँ छोड़ा जाए।” इस पर सागर ने उत्तर दिया, “श्रीराम! मेरी उत्तर दिशा की ओर द्रुमकुल्य नामक…
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ईश्वर भक्तिऐतिहासिकपुस्तक (कहानी श्रृंखलाबद्ध)प्रेरणादायकसाहित्य लेखसुमंत विद्वन्स
वाल्मीकि रामायण युद्धकाण्ड भाग 94
by सुमंत विद्वन्स 171 viewsलंका वापस लौटकर शार्दूल ने रावण को जानकारी दी, “महाराज! वानरों और भालुओं की विशाल सेना के साथ राम और लक्ष्मण दोनों राजकुमार समुद्र के उस पार आकर ठहरे हुए हैं। उनकी विशाल सेना भी समुद्र के समान ही अगाध…
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ईश्वर भक्तिपुस्तक (कहानी श्रृंखलाबद्ध)प्रेरणादायकसामाजिकसाहित्य लेखसुमंत विद्वन्स
वाल्मीकि रामायण युद्धकाण्ड भाग 93
by सुमंत विद्वन्स 152 viewsअपने ही मन की बात हनुमान जी के मुख से सुनकर श्रीराम अत्यंत प्रसन्न हो गए। उन्होंने कहा, “वानरों! विभीषण के विषय में मैं भी कुछ कहना चाहता हूँ। जो मित्रता की भावना लेकर मेरे पास आया हो, मैं कभी…
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ईश्वर भक्तिपुस्तक (कहानी श्रृंखलाबद्ध)प्रेरणादायकलेखक के विचारसाहित्य लेखसुमंत विद्वन्स
वाल्मीकि रामायण युद्धकाण्ड भाग 92
by सुमंत विद्वन्स 176 viewsसुग्रीव की बातें सुन लेने के बाद श्रीराम ने हनुमानजी तथा अन्य वानरों की ओर देखते हुए कहा, “वानरों! वानरराज सुग्रीव ने विभीषण के बारे में जो उपयुक्त बातें कहीं, वे तुम लोगों ने भी सुनी ही हैं। जो भी…