तब रावण का सचिव यूपाक्ष आगे आया और हाथ जोड़कर उसने कहा, “महाराज! एक मनुष्य के कारण हम लोगों पर एक भारी संकट आ गया है। सीताहरण से क्रोधित होकर राम ने अपनी विशाल वानर-सेना के साथ लंका को चारों…
पुस्तक (कहानी श्रृंखलाबद्ध)
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नयाइतिहासऐतिहासिकदेवेन्द्र सिकरवारपुस्तक (कहानी श्रृंखलाबद्ध)साहित्य लेख
मध्यएशिया व भारत : मध्यएशिया का इतिहास: संशोधित दृष्टिकोण भाग 4
by देवेन्द्र सिकरवार 148 viewsवस्तुतः जैसे-जैसे मध्येशियाई क्षेत्र सहित भारतीय उपमहाद्वीप विश्व की सभ्यताओं से गहन रूप से संबंधित एवं उनकी उत्प्रेरणा का मूल स्रोत प्रमाणित होता जा रहा है, वैसे-वैसे पश्चिमी श्रेष्ठतावाद सभ्यताओं की जड़ को उसके मूल स्थान से भोगौलिक रूप से…
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नयापुस्तक (कहानी श्रृंखलाबद्ध)मीडियाविदेशसामाजिक
तुर्किये सीरिया में आये भूकंप से लाखो की जान गयी हर तरफ तबाही का मंजर
by Praarabdh Desk 190 viewsतुर्की और सीरिया की सीमा के दोनों छोरों पर निवासियों की नींद भूकंप से उड़ गई। ठंडी, बरसात व बर्फीली सर्दियों की रात में लोग बाहर निकल आए क्योंकि झटकों के बाद इमारतें एक तरफ झुक चुकी थीं और मजबूत…
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साहित्य लेखइतिहासऐतिहासिकज्ञान विज्ञानदेवेन्द्र सिकरवारपुस्तक (कहानी श्रृंखलाबद्ध)
मध्यएशिया व भारत : प्रागैतिहासिक काल की मध्येशियाई संस्कृतियां पश्चिमी दृष्टिकोण में-भाग 3
by देवेन्द्र सिकरवार 140 viewsइस काल में मध्यएशिया में मानव जीवन की सर्वाधिक महत्वपूर्ण घटना थी विभिन्न बस्तियों का विकास तथा कॉकेसाइड व पूर्वी एशियाई नृजातियों के मिश्रण से नए-नए नृजातीय समूहों का विकास और उनका विश्व में विभिन्न दिशाओं की ओर प्रवाह। इस…
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इतिहासऐतिहासिकपुस्तक (कहानी श्रृंखलाबद्ध)मुद्दालेखक के विचारसाहित्य लेख
मध्यएशिया व भारत- सुमेरु_की_महत्ता_व_वर्तमान_में_अवस्थिति भाग 2
by देवेन्द्र सिकरवार 186 viewsभारतीयों के लिए ‘एक्सिस मुंडी’ के रूप में वर्णित सुमेरु पर्वत इतना महत्वपूर्ण क्यों रहा है कि प्राचीनतम महाकाव्यों से लेकर मुझ अनाम विद्यार्थी तक इसकी ओर सम्मोहित हैं? क्योंकि अन्य सभ्यताओं में एक्सिस मुंडी प्रतीकात्मक है लेकिन भारतीयों के…
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ईश्वर भक्तिपुस्तक (कहानी श्रृंखलाबद्ध)प्रेरणादायकसाहित्य लेखसुमंत विद्वन्स
वाल्मीकि रामायण युद्धकाण्ड भाग – 104
by सुमंत विद्वन्स 166 viewsसमर-भूमि में श्रीराम ने अपने धनुष की तीव्र टंकार प्रकट की, जो वज्र की गड़गड़ाहट से भी अधिक कठोर थी। उन्होंने रावण को ललकारते हुए कहा, “रावण! मेरा अपराधी होकर तू अब अपने प्राण नहीं बचा सकेगा। इन्द्र, यम, ब्रह्मा,…
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ईश्वर भक्तिपुस्तक (कहानी श्रृंखलाबद्ध)प्रेरणादायकसाहित्य लेखसुमंत विद्वन्स
वाल्मीकि रामायण युद्धकाण्ड भाग-103
by सुमंत विद्वन्स 224 viewsसारी लंका चारों ओर से शत्रुओं से घिरी हुई थी। यह देखकर रावण ने सेनापति प्रहस्त से कहा, “वीर प्रहस्त! शत्रुओं ने नगर के अत्यंत निकट छावनी डाल रखी है, जिससे सारा नगर व्यथित हो उठा है। अब तो केवल…
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ऐतिहासिकईश्वर भक्तिजाति धर्मपुस्तक (कहानी श्रृंखलाबद्ध)साहित्य लेख
श्रीमद भगवत गीता अध्याय 2
by Sharad Kumarby Sharad Kumar 237 viewsइस पर अर्जुन ने श्रीकृष्ण से कहा मैं लक्षणों को भी विपरीत ही देख रहा हूँ तथा युद्ध में स्वजन-समुदाय को मारकर कल्याण भी नहीं देखता हमें जिनके लिए राज्य, भोग और सुखादि अभीष्ट हैं, वे ही ये सब धन…
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ईश्वर भक्तिपुस्तक (कहानी श्रृंखलाबद्ध)प्रेरणादायकसाहित्य लेखसुमंत विद्वन्स
वाल्मीकि रामायण युद्धकाण्ड भाग 102
by सुमंत विद्वन्स 281 viewsगधों से जुते हुए रथ पर बैठकर धूम्राक्ष जब युद्ध के लिए बाहर निकला, तो अनेक अपशकुन दिखाई दिए। एक महाभयानक गीध उसके रथ पर आकर गिरा। बादलों से रक्त की वर्षा होने लगी और पृथ्वी डोलने लगी। हवा उल्टी…
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ईश्वर भक्तिपुस्तक (कहानी श्रृंखलाबद्ध)प्रेरणादायकसच्ची कहानियांसाहित्य लेखसुमंत विद्वन्स
वाल्मीकि रामायण युद्धकाण्ड भाग 101
by सुमंत विद्वन्स 324 viewsवानर-सेना में ऐसी भगदड़ देखकर सुग्रीव ने पूछा, “वानरों! किस कारण हमारी सेना इस प्रकार सहसा व्यथित हो उठी है?” तब अंगद ने उत्तर दिया, “क्या आप श्रीराम और लक्ष्मण की दशा नहीं देख रहे हैं? सब वानर उसी बात…