Home विषयमुद्दा छठ में कर्मकांड नहीं होता

छठ में कर्मकांड नहीं होता

by Swami Vyalok
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अच्छा, कर्मकांड मतलब क्या? ज्ञानकांड मतलब क्या? सूप में जो आप ईख, नारियल, ठेकुआ, भुसवा आदि डालते हैं, पुरवा में दीपक जलाते हैं, शाम को घाट लीपकर वहां सबकुछ सहेज कर रखते हैं, फिर आपकी मां, भाभी, भाई या कोई भी पानी में उतरती या उतरता है, उगते या डूबते सूरज को अर्घ्य देता है, प्रणाम करता है, वह क्या है?
खरना का प्रसाद गुड़ का ही बनेगा, उसमें खीर, एक पूरी और केला रखा जाएगा, सात या नौ ही लगाए जाएंगे, शाम के अर्घ्य के बाद आप कोसी भरेंगे, वो क्या है?
पुरोहित का मतलब क्या? आपकी मां से बड़ी कोई पुरोहित है क्या?
पूरे छठ में जो एक नैरंतर्य है, वह क्या है? वह कब उतरा? या अब आप भी इलहामी किताब वालों की तरह यह दावा करेंगे कि अचानक एक दिन ब्रह्मांड में आवाज गूंजी और छठी मैया के गीत होने लगे?
छठ सामाजिक है। दुर्गापूजा असामाजिक है, सरस्वती पूजा तो असामाजिक क्या, अधार्मिक होगा, दीपावली, होली, मकरसंक्रांति, सब कुछ…। आप इतने बड़े सामाजिक हैं कि जमुना के झाग से लेकर नवेडा के छतों पर प्लास्टिक के दो इंच वाले पानी में अकेले खड़े होकर सेल्फी लेकर पीछे से शारदा सिन्हा के गीत उस पर चेंप कर कहेंगे- अहा छठी मइया, ओहो छठी मइया। फिर पूरे 11 महीने 25 दिन आपको अपना गाम-देस कुछ याद नहीं आएगा।
यही दिक्कत है। मैदान खाली करते-करते आपको पता ही नहीं चलता कि आपने तो पूरा मैदान ही उनके हवाले कर दिया है।
लोक और वेद पर चर्चा करें?
करिएगा?

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