आप शायद भूल गए हों तो याद दिला दूँ 26/11 मुंबई हमले मे कमांडो संदीप उन्नी कृष्णन शहीद हुवे थे। संदीप जी केरल के निवासी थे। उनकी अंतिम यात्रा मे केरल सरकार ने किसी मंत्री को भेजना तो दूर किसी अधिकारी तक को न भेजा था। शहीद के घर वालों ने जब मुख्य मंत्री से इसकि नाराजगी जताई तो मुख्य मंत्री का आधिकारिक बयान था कि अगर यह इस हमले मे शहीद ने होते तो इनके घर कुत्ता भी न जाता।
यह वह भारत था, जहां यह सब नॉर्मल था। मंत्री, मुख्य मंत्री, प्रधान मंत्री सब राज्य होते थे और आम जनता तो मरने के लिए ही पैदा होती थी। केदारनाथ त्रासदी मे राहत सामग्री के ट्रक कई दिनों तक खड़े रहते थे क्योंकि उन्हें हरी झंडी राहुल गांधी को दिखानी थी। और राहुल जी स्पेन गए थे बाल और नायक कटाने।
यूक्रेन से भारतीय छात्रों के रेस्क्यू मे आप देखेंगे कई सारे वीडियो वाइरल हैं। मोस्टली छात्र अपने पिता जी की राजनीति से प्रेरित होकर राजनैतिक बयान दे रहे हैं। सरकार / मोदी जी / मंत्रियों का मजाक उड़ा रहे हैं। इसके बावजूद भारत सरकार के चार मंत्री स्वयं चार देशों मे रेस्क्यू ऑपरेशन देख रहे हैं, छात्रों से मिल रहे हैं, यह जो ऊल जलूल कमेन्ट कर रहे हैं, उनकी बातें सुन भी रहे हैं और इसके बावजूद सबकी मदद कर रहे हैं। चेन्नई मे आपने देखा होगा केन्द्रीय मंत्री हवाई अड्डे के गेट पर विनम्रता से हाथ जोड़ छात्रों का अभिवादन कर रहे हैं और कई छात्र बेशर्मी और बेहूदगी से उन्हें इग्नोर करते हुवे निकल जा रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद भी मंत्री जी पर शिकन नहीं आती है और वह अंतिम छात्र के निकलने तक वैसे ही विनम्र भाव से हाथ जोड़ अभिवादन करते रहते हैं।
आप मोदी के समर्थक हों या विरोधी, पर इसमें कोई दोराय नहीं मोदी सरकार ने मंत्रियों, सांसदों, विधायकों का वीआईपी कल्चर काफी हद तक समाप्त कर दिया। नो डाउट जो चीज मिल जाती है उसकी वैल्यू नहीं रहती है तो कई लोगों को वह सुमधुर दिन याद आते हैं जब मंत्री जी बोलते थे राहुल गांधी का पेशाब पीने के लिए लोग बेताब रहते हैं। पर सच यही है कि भाजपा सरकार ने वाकई मंत्रियों / जन प्रतिनिधियों को कुछ नहीं तो हम्बल अवश्य बना दिया। वीआईपी कल्चर काफी हद तक समाप्त कर दिया।
राजनीति के चरित्र मे यह आमूल चूल परिवर्तन बहुत सराहनीय है।