मेरे एक मित्र हैं, mba करने के पश्चात दिल्ली में धक्के खा रहे थे. एक कम्पनी में मार्केटिंग इग्ज़ेक्युटिव की जॉब रेक्वायअर्मेंट थी, मित्र टाई सूट में गए इंटर्व्यू देने. अंग्रेज़ी में रटा रटाया अबाउट मायसेल्फ़ बोला. कम्पनी मैनेजर ने तीन बंदर निकाल सामने रख दिए. मित्र ने पूँछा यह क्या है, मैनेजर ने चाभी घुमाई, बंदर ताली पीटने लगे. जॉब था कि इन बंदरों को डोर to डोर बेंचो, दुकान दारों को बेंचो, किसी को भी बेंचो पर बेंचो. मरता क्या न करता, मित्र ने किया, बंदर बेंचे. और बीस साल बाद आज वह एक बड़ी कम्पनी में मार्केटिंग हेड के लेवल पर कार्य रत है.
उसकी मुख्य वजह यह है कि अपनी पहली ही नौकरी में उसकी मार्केटिंग की इतनी ज़बर्दस्त ट्रेनिंग रही कि वह अब मार्केटिंग एक्स्पर्ट है. mba मार्केटिंग से ही किया था तो डिग्री प्लस अनुभव ने उसका शानदार कैरियर बना दिया.
नौकरी के केस में सदैव वह नौकरी अच्छी होती है जिससे आप अनुभव पा सकें. कई बार लोग b टेक करने के बाद दस हज़ार की नौकरी का उदाहरण देते हैं. मैं तो कहता हूँ दस हज़ार लेना छोड़िए पाँच हज़ार जेब से देना पड़े अगर अपने क्षेत्र की नौकरी मिल रही हो तुरंत कर लेना चाहिए. अनुभव मिलता है. दूसरी तीसरी नौकरी में एक झटके में सब वसूली हो जाएगी.
वहीं यदि पहली नौकरी में ही शर्म में पड़ कर नहीं की, अपनी फ़ील्ड में नहीं की, ऐसी नौकरी नहीं की जिससे आपकी एजुकेशनल डिग्री प्लस बाक़ी credentials को बल मिलता हो तो वैसी पचास हज़ार की नौकरी दस हज़ार की अपनी फ़ील्ड की नौकरी से बेकार है.
अगर आपके पास डिग्री है, तो अगला स्टेप अनुभव है. अनुभव लेने में मत चूकें. भले ही कितनी भी मेहनत करनी पड़े, कितनी ही कम तनख़्वाह हो अपनी शिक्षा के क्षेत्र में जो नौकरी मिले उसे अवश्य करें. यह आपका भविष्य बना देगी. ऐसी कोई भी नौकरी जिसमें पैसे तो हों पर स्किल अपग्रेड न हो रही हो वह बिल्कुल न करें.