अभी कुछ दिनों पहले की बात है। मदर डेयर बुथ पर एक युवक 08 लीटर दूध लेने आया। उसने पांच लीटर दूध का पैसा दिया और अपने साथ जो बर्तन लाया था, उसमें पहले से तीन लीटर पानी लेकर आया था।
बुथ वाले ने देख लिया ऐसा करते हुए। उस लड़के को डांटते हुए बोला कि तुम्हें पानी मिलाना है तो मिलाओ लेकिन मेरी दूकान पर नहीं। यहां पानी नहीं मिलाना है। एक सज्जन और वही खड़े थे, उनका मानना था कि पानी मिलाने की कोई बात नहीं लेकिन तीन लीटर तो टू मच है। एक लीटर मिला लो।
मुझे आश्चर्य इस बात पर हो रहा था कि किसी ने उस लड़के से नहीं कहा कि तुम गलत कर रहे हो। मालिक ने जितने पैसे दिए हैं, उतना दूध घर तक ले जाना चाहिए। यदि पूरे पैसे लेकर कम दूध ले जाते हो तो यह चोरी होगी।
मैंने यह प्रश्न उठाने की कोशिश की थी लेकिन एक अंकल ने यह कहकर चुप करा दिया कि पूरी दुनिया कर रही है। थोड़ा इस बच्चे ने कर लिया तो क्या गलत है?
मैं भी चुप करके घर लौट आया क्योंकि कुछ समय से कम बहस करने का अभ्यास कर रहा हूं। क्योंकि समझ आ रहा है कि इसमें ऊर्जा अधिक खर्च होती है। हासिल कम होता है।