अब कबीर कोई छोटे मोटे बंदे तो थे नही ।
सयाने आदमी थे । हल्की बात नही कहते थे ।
TV पे भी भांति भांति के दर्शक हैं ।
कुछ एकता कपूर वाले सास बहू सीरियल देखते हैं ।
कुछ BigBoss जैसे घिनौने TV प्रोग्राम देखते हैं ।
कुछ गोविंदा मिथुन की C ग्रेड फ़िल्म देख के time pass करते ।
कुछ South का हिंदी में डब किया सनीमा देखते हैं ।
कुछ किरकिट के match देखते ।
कुछ ऐसे भी हैं जिनके घर TV ही नही है।
अब अगर इन TV देखने वालों की Rating ग्रेडिंग की जाये , जैसे मनाली में सेब के बाग में , सेब की की जाती है ……
तो ये South का Dubbed सनीमा और गोविंदा मिथुन की फिलिम देखने वाले सबसे मस्त लोग होते हैं ।
ये दिल पे कभी लोड नही लेते । TV चालू किया , चाहे जो जैसी फिलिम आ रही हो , घंटा आध घंटा देखी , खाया पिया , TV देखते देखते सो गया । न शुरू से देखेगा , न अंत तक देखेगा …..
उसके बाद आते हैं लुगाइयों के साथ बैठ के एकता कपूर से सास बहू सीरियल देखने वाले ।
ये बाकायदे Story को follow करते हैं । एकदम Religiously , रोज़ाना समय से TV के सामने जम जाएगा और पूरा Episode देख के उठेगा ।
ऐसे लोक स्त्रैण चरित्र के मर्द के शरीर मे लुगाई की आत्मा लिये लोक होते हैं ।
ये ऐसे सीरियल देख के थोड़ी देर अपनी लुगाई से उसकी Story Discuss करते हैं और कहानी के पात्रों को शरीफ या दुष्ट बता के रोटी खा के सो जाते हैं ।
ज़्यादा इमोसनल नही होते , ज़्यादा RR नही मचाते ।
सीरियल देख के न ज़्यादा दुखी होते न भोत जायदे खुश ।
ऐसे लोक क्रमशः B और C ग्रेड के Chewत्ये होते हैं ।
अगली कटेगरी है एकदम Export Quality A++ Ultra Pro Max Chewत्ये जो TV पे किरकिट के मैच देखते हैं ।
अव्वल तो ये महीना पहले से ही किरकिट देखने की पिलानिंग करने लगेगा ।
फिर फुल भौलूम में य्ये बड़ी स्क्रीन पे दिन भर बैठ के match देखेगा ।
अपने बगल में एक थाली में लाल गुलाल और दूसरी थाली में तवे की कालिख या जला हुआ मोबिल रख लेगा दो लीटर ।
चौका छक्का लगेगा तो G पे गुलाल पोत के नाचने लगेगा ।
विकेट गिरते ही मुह पे करिखा पोत के मातम मुहर्रम मचाने लगेगा ।
एक मैच में 20 बार हँसेगा और रोयेगा ।
हर ball पे सचिन को batting सिखाएगा , शोएब अख्तर को Balling और धोनी को कप्तानी सिखाएगा ।
मैच खत्म होगा तो या तो G ऊपर कर मुह तकिये में घुसा के रोता हुआ सो जाएगा या फिर वही – G पे गुलाल पोत के गली में नाचेगा , आतिशबाजी करेगा ।
अगले दिन फिर वही रूटीन ।
अंतिम दिन फिर वही , या तो गुलाल पोत के आतिशबाजी करेगा नही तो TV फोड़ देगा ।
पाकिस्तान में तो एक बार एक किरकिट दर्शक चाचा ने अपने भतीजे को किरकिट देखते गोली मार दी थी ।
बाद में पता चला कि Match तो Fix था ।
Big Boss के दर्शक या गोविंदा मिथुन रजनीकांत के दर्शक कम से कम एक दूसरे को गोली तो नही मारते , TV तो नही फोड़ते ……..
इसीलिये मैं कहता हूँ , कि इस प्रायोजित , fixed , Scripted नौटंकी पे इमोसनल होने की ज़रूरत नही ।
रजनीकांत की फिलिम समझ के देखो , रोटी खाओ , सो जाओ ।
भतीजे को गोली मारने का नई ।
Pranay Kumar, The Anurag Tyagi and 1.3K others
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