Home विषयइतिहास देवल का पतन : आस्था या कमजोरी

देवल का पतन : आस्था या कमजोरी

देवेन्द्र सिकरवार

275 views

अरबों के लिए देवल एक चुनौती की तरह था। खलीफा उमर के जमाने से कोशिशें हो रहीं थीं लेकिन देवल अपराजेय था।
उसकी अपराजेयता का राज छिपा था दो शक्ति स्तंभों में–
1) उसका नौसैनिक बेड़ा जिसके फ्लीट कमांडर थे #सम्हाजी।
2)देवल के मुख्य मंदिर का गगनचुम्बी ध्वज जिसके प्रति देवल के बच्चे-बच्चे में आस्था व श्रद्धा थी कि जब तक यह ध्वज लहरा रहा है, देवल अपराजेय है।
अरबों ने पूरी शक्ति से स्थल आक्रमण के साथ नौसैनिक आक्रमण किया और अरबों को पूरे विश्व में सबसे भयानक पराजय का सामना करना पड़ा। (इस भयानक अभियान जिसे #रासिल_का_नौसैनिक_युद्ध कहा जाता है(-सन्दर्भस्रोत:- #इंदु_से_सिंधु_तक) में अरबों की भीषण पराजय हुई।
फिर आया 711ई. का मनहूस साल।
हरी आँखों वाले मुहम्मद बिन कासिम ने घेरा डाला। उसने समुद्र पर प्रयास ही नहीं किया और सीधे स्थल भाग से हमला किया।
एक देशद्रोही वीजा उसे हर कमजोरी, हर खूबी का राज कासिम को बता रहा था।
उसने देवल की अपराजेयता का दूसरा राज बताया और शैतान की आँखें चमक उठीं।
अगले ही दिन उसने सारे कैटापुल्ट्स को एक ही बिंदु पर पत्थर फेंकने का आदेश दिया।
मुख्य मंदिर का ध्वज टूटा और पुजारियों ने हाहाकार मचा दिया।
लोग आशंकाओं व भय से भर गए।
सैनिक प्रतिरोध कर रहे थे पर टूटे मन से।
देवल का पतन हुआ।
आज देवल #कराची कहलाता है।
इस पराजय का जिम्मेदार कौन था?
आस्था व श्रद्धा एक दुधारी तलवार है जिसकी एक धार आपकी ओर भी होती है। यह जितना शक्ति देती है, टूटने पर उतना ही कमजोर बना देती है।
अपनी आस्था को किसी स्तंभ, मूर्ति, मंदिर या व्यक्ति पर केंद्रित न करें, वह परमसत्ता के प्रतीक मात्र है।
अपनी आस्था का केंद्र सिर्फ ईश्वर व उनके सर्वोच्च प्रतिरूप शिव, राम और कृष्ण जैसे व्यक्तित्वों को बनाएं।
कोई आसाराम, कोई रामपाल, कोई धीरेन्द्र और उनके चमत्कार अगर आपकी आस्था के आधार हैं तो आपका पतन भी निश्चित है, होना ही चाहिए।
विडंबना देखिये कि आपको ईश्वर के प्रति आपके विश्वास का मार्ग वह बता रहा है जो स्वयं अनीश्वरवादी है।
लेकिन ठहरिए! मेरी राम, कृष्ण और शिव में आस्था आपकी जितनी भुरभुरी नहीं है जो किसी लडके या बाबा के सस्ते चमत्कारों, किसी मंदिर या मूर्ति पर टिकी हो।
वह सीधे राम, कृष्ण और शिव के व्यक्तित्व व उनके आदर्शों पर आधारित है जो मेरे रक्त में बहती है।
अपनी आस्था को चमत्कारों का गुलाम मत बनाइये, उसे राम, कृष्ण और शिव से सीधे जोड़िए।
किसी व्यक्ति या चमत्कारों पर आधारित आस्था से देवल #कराची बन जाता है और मातृभूमि का एक खंड #पाकिस्तान।

Related Articles

Leave a Comment