प्रोटोकॉल

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मुझे नहीं पता था कि संघ प्रमुख ने कहा .. कुछ पोस्ट में डिटेल मिल रही है पढ़ के लग रहा है कि कहा तो सही है … मेरी आपत्ति फिर भी हमेशा से एक बात से है और वो है जुमला जो उछाला जा रहा है आजकल कि DNA एक है …. आप मानते रहो … एक पल को मान लेते हैं हम भी …
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लेकिन क्या वो मान रहे हैं .. नहीं .. मात्र 74 वर्ष पूर्व की बात है लाहौर, कराची, रावलपिण्डी, बहावलपुर में दहशरा, दिवाली मनाया जाता था और होली खेली जाती थी … ढाका में दुर्गा पूजा, सिल्हेट में अशोकास्टमी और गरिया पूजा होती थी … खुलना में दशहरा मेला का भव्य आयोजन होता है … सीता चौक को रहमानी नगर बने तो अभी 65 वर्ष भी न हुए … लाहौर का जैन मंदिर चौक बदल के बाबरी चौक हुए सिर्फ 29 वर्ष हुए हैं
अधिक दूर क्यों जाना … कश्मीर और केरल के साथ पश्चिम बंगाल का मुर्शिदाबाद, इस्लामपुर, बशीरहाट, मालदा या बिहार के किशनगंज में ही देख लीजिये .. उनको DNA से कुछ न लेना देना … हम DNA खोज रहे हैं और वो DNA का पूरा ladder structure तोड़ के मानवता को ही नकारे जा रहे हैं …. उनके लिए हमारा आपका अस्तित्व कुछ न है …
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सत्यता ये है कि एक बार जब ये इस सिस्टम को त्याग के उस अरबी रेगिस्तानी ऑपरेटिंग सिस्टम में घुस जाते हैं तो अंदर का पूरा सिस्टम नए फॉर्मेट का हो चुका होता है … नया ऑपरेटिंग सिस्टम पूरी तरह से corrupt होता है जिसमे वायरस ही वायरस है … और ये वायरस सिर्फ बीमार कर सकता है … ये वायरस पेट में बम बाँध के फटने, धोखा देने पे शबाब पाने, दूसरों की स्त्री तथा धन और घर को लूट के उसको माले गनीमत मानता है …. ये अरबी ऑपरेटिंग सिस्टम दिमाग में गन्दगी और जिह्वा पर उर्दू की तवायफ़ी मिठास ला देता है ……. वो कहावत तो सुनी ही होगी “… बिन मूछ दाढ़ी उर्दू बानी, दगाबाज़ की यही निशानी .. ” .. नहीं सुनी तो कंठस्त कर लें ….
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चलो आप कहते हैं कि DNA एक है लेकिन ये भी बताइये कि टेस्टिंग का प्रोटोकॉल अलग है … इस प्रोटोकॉल में अंतर करिये … DNA एक है, DNA एक है बोलकर उसको इधर जोड़ने का प्रयास नहीं कारगर हो सकेगा … उन्होंने अपना DNA चेक करने का प्रोटोकॉल अलग कर लिया और इस प्रोटोकॉल के अंतर्गत उनके operating manual में हमारे आपके अस्तित्व की कही कोई जगह नहीं है ….

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