पिछले दिनों एक पुस्तक पढ़ी. अब फिक्शन सामान्यतः नहीं पढ़ता, लेकिन लेखिका थीं जे के रॉलिंग, तो पढ़ने को मजबूर हो गया. पुस्तक है “The Ink Black Heart” और आपको लेखक का नाम लिखा मिलेगा “रॉबर्ट गैलब्रेथ”, जो कि जे के रॉलिंग का ही छद्मनाम है और पिछले कुछ क्राइम थ्रिलर उपन्यास उन्होंने इसी नाम से लिखे हैं.

उनके पिछले कुछ उपन्यासों में एक कैरेक्टर है कार्मोरन स्ट्राइक, जो एक प्राइवेट डिटेक्टिव है. और उसकी महिला इन्वेस्टिगेशन पार्टनर और दबा छुपा रोमांटिक इंटरेस्ट है रॉबिन. ये दोनों एक पॉपुलर कार्टूनिस्ट की हत्या की जांच कर रहे हैं, और हत्या के सूत्र जुड़े हैं एक इंटरनेट फैन कम्युनिटी से. उस फैनडम में एक रहस्यमय कैरेक्टर है “एनोमी” जो ट्रॉल्स की एक भीड़ को लीड करता है और वे लोग ट्विटर पर उस कार्टूनिस्ट की खूब ट्रोलिंग करते हैं.
एनोमी के ट्विटर पर पचास हजार फॉलोअर हैं जो उसने उस कार्टूनिस्ट को ट्रॉल करके जुटाए हैं. जब वह कार्टून पॉपुलर हो जाता है और एक हॉलीवुड स्टूडियो उस कार्टून पर फिल्म बनाना चाहता है तो वे उस कार्टूनिस्ट को लालची घोषित कर देते हैं, और यह शिकायत करते हैं कि यह कार्टूनिस्ट उन्हें धोखा देकर पैसे कमा रही है. अगर वे जानते कि यह कार्टून उसने पैसे कमाने के लिए बनाया है तो वे इसे पॉपुलर ही नहीं होने देते. वे कार्टूनिस्ट ईडी लेडवेल को ग्रीडी फेडवेल बुलाते हैं, उसके व्यक्तिगत जीवन की बातें पता करके उसे अपमानित करते हैं, धमकियां देते हैं, अब्यूज करते हैं, उसकी कार्टून पर आने वाली फिल्म के बॉयकॉट की धमकी देते हैं…और इन सबके बीच कोई उसकी हत्या कर देता है.
स्ट्राइक और रॉबिन को पता करने का काम मिलता है कि यह एनॉमी कौन है. उस प्रोफाइल की सिक्योरिटी इतनी अच्छी है कि उसे आईपी एड्रेस से ट्रेस नहीं किया जा सकता. उसकी सोशल मीडिया एक्टिविटी के आधार पर वे उसकी प्रोफाइलिंग करते हैं और सभी संभावित दोषियों को एक एक कर रूल आउट करते हैं. रॉबिन उस व्यक्ति को इन्वेस्टिगेट कर रही है जिसपर सबसे अधिक शक है और जो प्रोफाइल के सभी पॉइंट्स को पूरा करता है… इसके पास ईडी की हत्या का कारण भी है, सामर्थ्य भी है, अवसर भी है…लेकिन फिर भी रॉबिन कहती है – यह व्यक्ति एनोमि नहीं हो सकता. यह टैलेंटेड है, सफल है, हैंडसम है, इसे लड़कियां पसंद करती हैं… वह इतना फ्रस्ट्रेटेड नहीं है कि एक इंटरनेट ट्रॉल बनने में अपना इतना समय और एफर्ट लगाए.
तब रॉबिन अपने सोचने की दिशा बदलती है. वह हिसाब लगाती है कि इस व्यक्ति की रियल लाइफ पर्सनैलिटी उसकी ऑनलाइन पर्सनैलिटी से बिल्कुल अलग होगी. वह सोशल मीडिया पर जो कुछ भी दिखाई देता है, सचमुच में वह सब कुछ भी नहीं होगा. और तब वह सभी सस्पेक्ट्स को नए सिरे से देखना शुरू करती है और असली हत्यारे तक पहुंचने में सफल होती है. ट्विटर पर पचास हजार की फॉलोइंग वाला वह प्रभावशाली व्यक्ति असली जिंदगी में एक असमर्थ, अक्षम, कुंठित और हारा हुआ व्यक्ति है.
जब यह पुस्तक लिखी जा रही थी तभी खुद जे के रॉलिंग को वामपंथी लिबरल ब्रिगेड की ट्रॉलिंग का शिकार होना पड़ा. उन्हें ग्लैमर और सेलिब्रिटी वर्ल्ड ने कैंसल कर दिया. वे अपनी ही हैरी पॉटर फिल्मों के सिल्वर जुबिली से बहिष्कृत हो गईं. इस अनुभव के बावजूद जे के रॉलिंग ने अपने उपन्यास में इन ट्रॉल्स को बार बार राइट विंग एक्सट्रेमिस्ट ग्रुप्स से जबरन जोड़ने की कोशिश की है. लेकिन यह कोशिश भी उन्हें वामपंथियों के प्रकोप से बचा नहीं पाई और उनका बहिष्कार जारी रहा. क्योंकि जे के रॉलिंग ने राइट विंग एक्सट्रेमिस्ट का नाम लेकर भी ट्रोलिंग की जिस तकनीक और कैंसल कल्चर को टारगेट किया है, अंत में वह है घोर वामपंथी तकनीक.
पर राइट विंग और लेफ्ट विंग की इस लड़ाई से परे, एक बात में रॉलिंग का आकलन बिल्कुल स्पॉट ऑन है…और वह है सोशल मीडिया ट्रॉल्स का चरित्र चित्रण… जिनके पास विमर्श के अपने विषय नहीं हैं, बल्कि जिनका एकमात्र विषय दूसरे लोगों की आलोचना, भर्त्सना, निंदा करना है…वे ट्रॉल हैं. उन्हें विमर्श नहीं करना होता, अपनी कुंठाये निकालनी होती हैं. अपनी प्रोफेशनल असफलताओं की कुंठाएं, अपनी चारित्रिक छुद्रता की कुंठायें, अपनी पर्सनल जीवन की कुंठायें, अपने बेडरूम की कुंठायें…. और ट्रॉलिंग उन्हे वह शक्तिबोध देता है जो उनके अक्षम और नपुंसक व्यक्तित्व से गायब होता है.

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