Home चलचित्र औंधे मुँह गिरी सम्राट पृथ्वीराज चौहान

औंधे मुँह गिरी सम्राट पृथ्वीराज चौहान

ओम लवानिया

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सिनेमाई पर्दे पर सम्राट पृथ्वीराज चौहान! यूँ तो पिछले दिनों सम्राट पृथ्वीराज यशराज फिल्म्स के भारी भरकम घोड़े पर सवार होकर अक्षय कुमार के साथ नज़दीकी सिनेमाघरों की तरफ निकल चुके है। लेकिन….लेकिन! 70एमएम पर पहला अनुभव बेहद फ़ीका रहा, योद्धाओं वाला कोई रौब न था, अक्षय कुमार फॉर्मली आए और निकल गए। पृथ्वीराज के जूतों में भी पैर न डाल पाए। दरअसल, अक्षय कुमार की कोई तैयारी भी न थी, न उन्होंने कोशिश की। साधारण किरदारों की तरह ऐतिहासिक वीर योद्धा को लिया और ज़ोरो से गिर पड़े। हालत ये रही कि उठ भी न पाए, अक्षय कुमार तो पृथ्वीराज के सामंत से भी पिछड़ गए।
निःसन्देह इसमें अक्षय कुमार की कोई गलती न थी, इन्होंने हेरा फेरी के अपने राजू के स्वभाव को अपना लिया है। जितना मिल रहा है सब कर लो। आदित्य चोपड़ा ने फेस वैल्यू व माहौल देखकर अक्की को चुना है।
आदित्य चोपड़ा द्वारा बी-टाउन से पृथ्वीराज चौहान के साथ मुलाकात के अन्य ऑप्शन पर गौर किया जाता। या फिर आगे कोई निर्माता-निर्देशक तैयारी में जुटा हो, तो रणवीर सिंह और विक्की कौशल उपयुक्त रहते, दोनों की फेस वैल्यू भी दमदार है और किरदारों से मिलने का सलीका भी अनुशासित है।
रणवीर सिंह ने ऐतिहासिक पन्नों में बाजीराव और अलाउद्दीन ख़िलजी से मुलाकात की है और गहरा प्रभाव छोड़ा था। किरदार के लुक व बॉडी ट्रांसफॉर्मेशन, एक्सप्रेशन और डायलॉग डिलवरी से कायल कर दिया। बाजीराव नायक से मराठी परिवेश में मिलने निकले और जमकर मिले। तो वही खलनायक डकैत के पास पहुँचे, उम्दा माहौल रखा, नायक और खलनायक के हाव-भाव में बेहतरीन डिफरेंस दिखलाया। दर्शक एक और प्रेम लुटा बैठे, तो दूसरी तरफ घृणा छोड़कर आए। मौजूदा वक्त में कॉमर्शियल सिनेमाई फॉर्मेट में रणवीर सिंह से ऊपर कोई हीरो नहीं है। सूर्यवंशी में छोटे से कैमियो में दिग्गजों को धूल चटाते नजर आए। रियल लाइफ में रणवीर कोई भी उटपटांग हरकतें करते हो, लेकिन…लेकिन! रील में किरदार की डिमांड के अनुरूप उसे परिवेश देते है, उसके साथ बैठते है और फिर दर्शकों के बीच आते है।
मसान से स्टारडम की लाइम लाइट में आए, विक्की कौशल रणवीर कपूर के बाद दूसरे कलाकार है जो आर्ट और कॉमर्शियल सिनेमाई फॉर्मेट को बैलेंस करके ऊपर चढ़ रहे है। राज़ी, रमन राघव 2.0, संजू, मनमर्जियां कंटेंट में महत्वपूर्ण किरदारों के साथ दर्शकों के बीच छाप छोड़ गए। उरी-द सर्जिकल स्ट्राइक और सरदार उधम सिंह के किरदारों की मुलाकातें चर्चा में बना गई। उरी के मेजर विहान सिंह शेरगिल का एग्रेशन, जोश और दहाड़ 70एमएम पर ऐसी गूंजी, कि पड़ोसी पुनः देखने लगे, हिंदुस्तान ने दोबारा तो सर्जिकल स्ट्राइक नहीं कर दी। बॉडी लेंग्वेज और डायलॉग डिलवरी में ऐसा सनसनाता भाव था कि नज़दीकी सिनेमाघरों में शांति थी।
हाऊ द जोश सिग्नेचर पँच बन बैठा। बिल्कुल यही जोश पृथ्वीराज चौहान को देखना था, तभी तो बॉलीवुड के गलियारों में घूम रहे थे। लेकिन उनके पल्ले अक्षय कुमार पड़ गए। पहले से ही सात-आठ किरदारों को कंधे पर बैठाकर दौड़ रहे थे। पृथ्वीराज ने मना भी किया, लेकिन डॉक्टर साहब ने कहा हम कितने वर्षों से भटक रहे है। कोई तो मिला है अक्षय को संभाल लेंगे, फ्लोर पर उतर जाए बस। लेकिन अफ़सोस डॉक्टर साहब को कुछ न करने दिया।
पृथ्वीराज चौहान के साथ रणवीर सिंह से पहले प्राथमिकता में विक्की कौशल रहते है ऐसा मेरा मत है। विक्की ऐसे किरदार से मिलने पहली बार निकलते, कोरा कागज थे। यक़ीनन बेहतरीन मिलते, रणवीर सिंह सदाबहार रहते। पृथ्वीराज को विक्की के उरी वाले जोश की दरकार थी।
बॉलीवुड से कोई भी ऐसे किरदारों को 70एमएम पर उतारना चाहते है तो दोनों युवा कलाकार सॉलिड है। दर्शकों को नज़दीकी सिनेमाघरों तक खींचने व बजट और प्रॉफिट निकालने में कारगर रहेंगे। जोशीले और अच्छी एक्टिंग स्किल्स के धनी है। बाक़ी सब रद्दी है।
यशराज फिल्म्स के ऑनर अकेले बैठकर कोड़े मार रहे होंगे। किस घोड़े पर दांव लगा दिया, इसने तो स्टार्टिंग की लाइन भी क्रॉस न की। उससे पहले हांफकर बैठा है। उस पार वालों के खुशी का ठिकाना नहीं है कि पृथ्वीराज के शो कैंसल हो रहे है। अक्षय कुमार की फ़िल्म बैठ गई…ब्ला ब्ला ब्ला

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