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बूढ़ा व्यक्ति | प्रारब्ध

लेखिका - मधुलिका शची

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बुजुर्गों के साथ यह नेचुरल है क्योंकि वो इस माहौल में पले हैं
खाट पर लेटे बापू की एक आवाज़ पर दौड़ जाया करते थे
गलती उनकी यही है कि वो भी आशा करते हैं कि उनके बच्चे भी ऐसा करेंगे….!
जबकि बार बार आवाज़ लगाने पर बच्चों के आत्मसम्मान को ठेस पहुँचता है कि इस बूढ़े की औकात कैसे हुई जो बार बार आवाज़ लगा रहा है ..!
इस बूढ़े की अवकात कैसे हो गयी जो कौन आया कौन गया..बार बार पूछ कर मेरी ऊर्जा बर्बाद कर रहा है।
जानता नहीं ये बुड्ढा कि मेरी ऊर्जा ब्रम्हांड को उठाये बैठी है।
अगर मैं इस बुड्ढे की बात का जवाब देता रहा तो एक दिन तो मेरी सारी ऊर्जा खत्म हो जाएगी, पूरे ग्रह नक्षत्र धरती आकाश सब पलट जाएंगे ..
इसलिए मैं अपनी ऊर्जा को बचाने के लिए बार बार बूढ़े द्वारा टोका टोंकी किये जाने पर , क्रोधित होकर चिल्लाकर अपनी ऊर्जा को बचाने का प्रयत्न करता हूँ…
आखिर में ये बुड्ढे बुद्धिमान क्यों नहीं जाते , ये क्यों गुस्सा कर लेते हैं..!
मैं इनके गुस्से को सीरियस लूँगा और बताऊंगा कि ये बुढ्ढे खुद नहीं चाहते कि इनकी कोई सेवा करे।
बड़ी नौटंकी भरी रहती हैं इनमें, बताओ छोटे वाले भाई का पक्ष लेते हैं, बड़े भैया का पक्ष लेते हैं…
और लोटा पानी हमसे मांगेंगे… धन रुपिया देना हो तो छोटका/ बड़का है और सेवा करानी हो तो हमसे।
बाप हो ..! इसलिए सुन ले रहे हैं वरना कर्म तो तुम्हारा ऐसा है कि एक गिलास पानी भी न दें….!

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