Home हमारे लेखकतत्वज्ञ देवस्य भारतीय सेना : मेरे नायक मेरे पिताजी

भारतीय सेना : मेरे नायक मेरे पिताजी

तत्वज्ञ देवस्य

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जब पिताजी भारतीय सेना में कार्यरत थे,तो उनके एक मित्र हुआ करते थे,जिन्होंने उनके साथ ही सेना ज्वाइन करी थी,मगर कई वर्ष सेना को देने के पश्चात भी, उनका प्रमोशन नहीं हुआ,पिताजी अपने ही मित्र के सीनियर हो गए,कारण ये था,कि पिताजी के ये मित्र को सेना में फ्री की शराब का चस्का लग गया था,25 वर्ष की आयु में ही वो डायबेटिक हो गए,ऐसे जवानों को भारतीय सेना
“लो मेडिकल कैटेगरी” में डाल देती है,ऐसे सैनिकों को इंसरजेंसी एरिया में,बॉर्डर एरिया में पोस्टिंग नहीं दी जाती,पर इनकी तनख्वाह और पेंशन इन्हें बराबर दी जाती है।ये पीटी में हाज़िर तो होते हैं,पर दौड़ते नहीं,
मोटे होते जाते हैं।
ये भारतीय सेना द्वारा दी गई हर सुविधा का पूरा फायदा उठाते हैं,चाहें कैंटीन हो,चाहे मेडिकल फैसिलिटी,सेना में कार्यरत अन्य जवान जहां गर्मी बारिश और ठंड की प्रचंडता को सहते हैं,वहीं ये पीस एरिया में,आराम से घोंघे की तरह अपना जीवन जीते हैं।एक बोझ हैं ऐसे लोग जो बस एक बार सरकारी नौकरी की तरह सेना में भर्ती हो जाते हैं,और फिर पड़े रहते हैं।
“चलता है” वाले मनोभाव से ग्रस्त ये सैनिक,
भ्रष्ट सरकारी बाबू जैसे हो जाते हैं,इनमें से कई आगे चलकर,घूसखोरी,सेना की गतिविधियों को लीक करने में लिप्त हो जाते हैं।
भारतीय सेना ऐसे कई लो मेडिकल कैटेगरी सैनिकों के बोझ से दबी हुई है,और कई जगह कमज़ोर पड़ती है,भारतीय सेना में पेंशन लेने के लिए घुसने वाले युवा आगे चलकर बोझ ही बनेंगे,क्योंकि देशहित से पहले स्वहित दिखाई देगा,ये कभी देश के लिए कोई बलिदान नहीं दे पाएंगे,ना ही ये कभी शत्रु के समक्ष,
निडर होकर खड़े हो पाएंगे।
कुछ वर्षों बाद पिताजी के मित्र का कोर्टमार्शल हुआ था,नागालैंड में सूचना लीक करने के कारण,जिसके चलते वहां तैनात यूनिट के
10 जवान वीरगति को प्राप्त हुए थे,पर इतने वर्ष तक भारतीय सेना में पड़े पड़े वो बहुत कुछ कमा चुके थे,जिसकी भरपाई हमारे आपके टैक्स के पैसे से होती है,वही टैक्स का पैसा जो सरकारी बसों और ट्रेन को खरीदने और मेंटेन करने में प्रयोग में लाया जाता है,जिसे भारतीय सेना में भर्ती होने के इच्छुक(पेंशन लाभ के लिए) युवा कल से जलाए जा रहे हैं।
अग्नीवीर जैसी योजनाएं ऐसे निकृष्ट सैनिकों की छंटनी करेगी जो बोझ बन सकते हैं और 25% राष्ट्र सर्वोपरि की भावना रखने वाले युवाओं को भारतीय सेना में दीर्घकाल के लिए भर्ती करेगी।
जो भ्रमित सिविलियन नागरिक ये कह रहे हैं कि मात्र 6 महीने की ट्रेनिंग होगी और बॉर्डर पर तैनाती हो जाएगी,वो सेना की कार्यप्रणाली से परिचित ही नहीं हैं,ट्रेनिंग तो आजीवन होती है भारतीय सेना में,एक स्वस्थ भारतीय सैनिक की सुबह 3 बजे होती है, रोज़ सुबह 5 किलोमीटर दौड़ होती है,हर शनिवार को 16 किलोमीटर की हथियारों के साथ बैटल फिजिकल एफिशियंसी टेस्ट(बीपीईटी) वाली दौड़ होती है।
एक नॉर्मल भारतीय सैनिक की ट्रेनिंग 52 हफ्ते की होती है,ये सैनिक कमांडो ट्रेनिंग के लिए भी अप्लाई कर सकते हैं,जिनकी ट्रेनिंग सबसे कठिन ट्रेनिंग में से एक है,इसमें अच्छे अच्छे जवान छांट दिए जाते हैं।
कुछ सिविलियन मित्रों को ये भ्रम है कि भारतीय सेना से ट्रेनिंग लेकर ये युवक हिंसक प्रवृत्ति के हो जाएंगे,अगर ऐसा होगा तो वो चिंतित न हों,भारतीय सेना ऐसे हिंसक पागल कुत्तों को सही जगह पहुंचाने में एक्सपर्ट है।
एक नॉर्मल अग्निवीर सैनिक अगर चाहेगा तो वो सेना से स्नातक डिग्री प्राप्त करने के पश्चात सीडीएस के लिए अप्लाई कर,अफसर बन सकता/सकती है।
अग्निवीर जैसी योजनाओं की भारतीय सेना को कितनी आवश्यकता है,इसे जनरल विपिन रावत जैसे विजनरी और मेरे पिताजी जैसे सैनिक समझ सकते हैं,जिन्होंने पेंशन स्कीम के लिए भारतीय सेना ज्वाइन नहीं करी थी,
राष्ट्र सेवा के लिए करी थी।
मित्रों,मैं राजनेताओं को एमपी एमएलए बनने पर मिलने वाली पेंशन स्कीम के भी विरुद्ध हूं,मेरे हिसाब से बस मेडिकल इंश्योरेंस और मेडिकल सुविधाएं प्राप्त होनी चाहिए सरकारी कर्मचारियों को,और पेंशन स्कीम पूर्ण रूप से पूरे भारत में बंद होनी चाहिए,ताकि कर्मठ और कर्मशील वर्क फोर्स तैयार हो सरकारी नौकरियों के अंतर्गत,घूसकोर आराम परस्त और घोटाले बाज़ देशद्रोही सरकारी नौकरों से मुक्ति मिले।
अग्निवीर योजना का विरोध करने वाले स्वार्थी वर्ग से आते हैं,जो अपने निहित स्वार्थ के लिए कभी भी देश के शत्रुओं से हाथ मिला लेंगे,कभी अपना धर्म बदल लेंगे और कभी किसी सनातनी योद्धा को धोखा दे देंगे।
ऐसे स्वार्थी दिग्भ्रमित लोगों से सावधान रहें,ये युवाओं को भड़काएंगे बसें ट्रेनें जलाने के लिए,ये वही लोग हैं,जो जब जेहादी आक्रमण करते हैं तो युवाओं को प्रतिकार करने के लिए नहीं कहते उल्टा सरकारों पर दोषारोपण करते हैं।
भारत और सनातन धर्म को ऐसे ही स्वार्थी वर्ग के कारण कई बार असफलता प्राप्त हुई है,अब निर्णय आपका है, कि पुनः एक बार आप भारत को असफल होते देखना चाहते हैं,
या भारत की सफलता में,
सहभागी बनना चाहते हैं.!

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