Home लेखक और लेखस्वामी व्यालोक विल स्मिथ के नायकत्व पर ज्यादा लहालोट न होइए

विल स्मिथ के नायकत्व पर ज्यादा लहालोट न होइए

by Swami Vyalok
522 views
विल स्मिथ के नायकत्व पर ज्यादा लहालोट न होइए। आप उस महान देश के वासी हैं, जहां छिछोरा कपिल शर्मा और नवजोत सिद्धू अपने भांडों के साथ कॉमेडी का पर्याय है। जिसके कार्यक्रम में केवल बॉडी शेमिंग होती है। मजाक के नाम पर जहां अपमान किया जाता है, जलील किया जाता है। उस छिछोरे के कार्यक्रम की रेटिंग शायद सबसे अधिक है।
आपके यहां धार्मिक भाव से बिग बॉस देखने वाले लोग भी शामिल हैं। मने, 10-15 बागड़बिल्लों को दो महीने तक लड़ते-झगड़ते, चूमते-चाटते, शादी करते, तलाक लेते, अंडा फेंकते देखने में ऐसा कौन सा रस है, साला मुझे तो आज तक समझ में नहीं आया।
आप उस महान देश के वासी हैं, जहां शाहरुख खान और सैफ कभी नील नितिन मुकेश का मजाक उड़ाते हुए उनके पिता और दादा तक पहुंच जाते हैं, तो कभी सुशांत सिंह राजपूत को भद्दे तरीके से ग्रिल करते हैं। इस पर तालियां बजती हैं, लोग उस हकले को बेस्ट प्रजेंटर, बेस्ट एक्टर कहते हैं। खुद नील ने तो खैर इनको जवाब भी दिया था, मरहूम सुशांत तो मिनमिन करते रह गए, हां किसी मसले पर उन्होंने राजपूत नाम जरूर अपने नाम से हटा दिया था। उनको हिंदू होने की शर्म तो थी ही, राजपूत होने पर भी वह शर्मिंदा हो गए थे। यह होती है नैरेटिव की ताकत।
दरअसल, हम भारतीयों का पूर्वाग्रह और दोगलेपन में कोई सानी नहीं है। हम तलाक को गरियाएंगे, लेकि घरों में नरक बनाए रखेंगे, इधर-उधर मुंह मारते रहेंगे।
मुझे यूरोपियन-अमेरिकन ललमुंहे बंदरों की कोई भी बात प्रेरक नहीं लगती। सिवाय इसके कि फिलहाल वो दोगले नहीं हैं। 70-80 फीसदी तलाक वाले समाज में विल स्मिथ यह इसलिए ही कर पाते हैं। हमारे यहां का पति तो यही सोचता रह जाता कि यार मैं खुद ऑस्कर के लिए नॉमिनेटेड हूं, काहे लफड़ा करूं…।
(वैसे, मुझे यह भी पक्के तौर पर पता नहीं कि यह थप्पड़ स्क्रिप्टेड नहीं था। हॉलीवुड है, कुछ भी हो सकता है)

Related Articles

Leave a Comment