Home चलचित्र क्यों फॉरेस्ट गम्प का भारतीय वर्जन बनाना एक एब्सर्ड बात है?

क्यों फॉरेस्ट गम्प का भारतीय वर्जन बनाना एक एब्सर्ड बात है?

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फॉरेस्ट गम्प की कहानी कंटेंपरेरी अमेरिकी हिस्ट्री में गुंथी हुई है. उसकी एक एक घटना अमेरिकी इतिहास का रेफरेंस है. वियतनाम युद्ध, वॉटरगेट कांड, प्रेसिडेंट निक्सन की चीन यात्रा और पिंग पॉन्ग डिप्लोमेसी, सिविल राइट्स और हिप्पी मूवमेंट और जेनी का (एड्स से) मर जाना यह सब सिर्फ अमेरिकी कॉन्टेक्स्ट में कहा जा सकता है, भारत के कॉन्टेक्स्ट में यह एब्सर्ड है क्योंकि यह सब भारत के इतिहास को दूर दूर से नहीं छूता.
लेकिन भारत के वोक ब्रिगेड को भारत के नैरेटिव को अमेरिकी नैरेटिव की पैरोडी बनानी है. बिना सोचे समझे.
क्यों फॉरेस्ट एक मानसिक विकलांग होते हुए भी अमेरिकी सेना में चला जाता है और क्यों यह भारतीय सेना में नहीं हो सकता?
केनेडी और लिंडन जॉन्सन के डिफेंस सेक्रेटरी थे रॉबर्ट मैक्नमारा. उसके समय में वियतनाम युद्ध में सैनिकों की भर्ती पूरी करने के लिए फिट-अनफिट हर व्यक्ति को उठाकर वियतनाम भेज दिया गया. ऐसे में मानसिक रूप से असमर्थ कम आईक्यू वाले बहुत से युवा वियतनाम भेजे गए और इनके बीच कैजुअल्टी रेट बहुत ही अधिक थी.
ऐसे सैनिकों को अमेरिकी सेना में “मैक्नमारा मॉरोन” कहा जाता था. फॉरेस्ट गम्प ऐसा ही एक मैक्नमारा मॉरोन था. अब इस कहानी को हिंदी में रीमेक बनाते हुए मिस्टर परफेक्शनिस्ट को इसका ख्याल तो करना नहीं है कि भारतीय सेना के जवान मैक्नमारा मॉरोन नहीं होते.

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